इंटरनेट और मोबाइल जैसे साधनों का ईजाद अपनों को करीब लाने के लिए किया गया था, पर इनके इस्तेमाल में नासमझी की वजह से रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगी हैं। संबंधों की सहजता बरकरार रखने के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी से थोड़ी दूरी भी जरूरी है। आज के जमाने में लोग मोबाइल और इंटरनेट जैसी चीजों से पल भर के लिए भी अलग नहीं रह पाते हैं, जो बहुत ही बुरा संकेत हैं।
नजदीकियों में बढ़ती दूरी
ज्यादातर कपल्स के बीच झगड़े की बड़ी वजह इंटरनेट और मोबाइल ही है। लोगों के पास अजनबियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने और उनके पोस्ट पर कमेंट्स लिखने का तो समय है, पर अपने ही घर में पत्नी से उसका हाल पूछने की फुर्सत नहीं। शाम को सही वक्त पर घर लौटने के बाद भी पति लैपटॉप खोल कर बैठ जाते हैं। पत्नी और बच्चे किसी न किसी काम के बहाने उनसे बातचीत करना चाहते हैं, पर आभासी दुनिया में खोए उस अनमने व्यक्ति के आगे उनकी हर कोशिश नाकाम हो जाती है। यह तो कुछ भी नहीं।
कई बार तो घरों में पिन ड्रॉप साइलेंस होता है। मम्मी-पापा अपने-अपने लैपटॉप पर चैटिंग में व्यस्त होते हैं। बच्चा बीच में परेशान न करे, इसलिए उसे अपना आइफोन पकड़ा देते हैं। घरों में सन्नाटा है और सारी चहल-पहल सोशल साइट्स पर नजर आती है। कुछ लोगों को सौ-दो सौ लाइक्स के बिना रात को नींद नहीं आती। एक ही छत के नीचे साथ रहने वाला लाइफ पार्टनर उन्हें लाइक कर रहा/रही है या नहीं, इससे ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। कई बार दूरी इतनी बढ़ जाती है कि मामला ब्रेकअप और तलाक तक पहुंच जाता है।
अच्छी नहीं है इतनी शेयरिंग
आजकल लोगों में अकेलापन इस तेजी से बढ़ गया है कि वे निजी जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात ऐसी साइट्स के माध्यम से न केवल लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, बल्कि उत्साहजनक कमेंट्स के माध्यम से दूसरों की प्रतिक्रिया जानने के लिए इतने आतुर होते हैं कि वे अपनी टाइमलाइन पर एक ही स्टेटस को कई-कई बार पोस्ट करते हैं। ऐसी चीजें शेयरिंग लोगों के बीच मनमुटाव पैदा करने की वजह बनती जा रही है। कोई इसलिए नाराज है कि किसी ने उसके फोटो को लाइक नहीं किया तो कोई दूसरों द्वारा टैग किए जाने से परेशान है।